WAQF Modification Invoice Hindi: लोकसभा में WAFQ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। मोदी सरकार ने इसे आज सदन में पेश कर दिया, जबकि विपक्ष ने कड़ा विरोध जताने का ऐलान किया है। संख्या बल के आधार पर सरकार के लिए बिल पास कराना आसान हो सकता है, लेकिन विपक्ष की एकजुटता इसे चुनौती दे सकती है।
WAFQ संशोधन विधेयक 2024, WAFQ अधिनियम 1995 में बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें गैर-मुस्लिम और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने की बात कही गई है। सरकार इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम मान रही है, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बता रहा है। बीजेपी, जेडीयू और टीडीपी इसका समर्थन कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस, सपा, टीएमसी, डीएमके और AIMIM विरोध में हैं। लोकसभा में सरकार मजबूत स्थिति में है, लेकिन राज्यसभा में टकराव की संभावना है।
WAQF Invoice क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाना और दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त नियम लागू करना है।
Invoice में क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी का प्रावधान।
- जिलाधीश (कलेक्टर) को वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण का अधिकार।
- वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने की अनुमति।
Parliament Waqf Invoice LIVE Replace
केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया, जिसे गुरुवार को राज्यसभा में लाया जाएगा। इस बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनाव बढ़ गया है। सरकार इसे पारित कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, जबकि विपक्ष इसे असंवैधानिक करार दे रहा है।
चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति का दान केवल उसी पर किया जा सकता है जो हमारा है, न कि सरकारी संपत्तियों पर। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर गलत जानकारी फैला रहा है। वक्फ एक धर्मार्थ बंदोबस्ती है, जिसे वापस लेने का कोई प्रावधान नहीं है, और सरकार इसमें गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की कोई योजना नहीं बना रही।
टीएमसी सांसद द्वारा बंगाल में आकर यही बात कहने की चुनौती पर शाह ने जवाब दिया कि वह वहां भी यही कहेंगे और बीजेपी को अधिक सीटें मिलेंगी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध किया, लेकिन सरकार इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बता रही है।
चर्चा के दौरान सपा सांसद मोहिबुल्लाह ने सरकार से कड़े सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि संविधान हमें किसी भी धर्म का पालन करने का अधिकार देता है, लेकिन वक्फ संशोधन विधेयक समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने सरकार पर सूफी परंपरा और प्रार्थना के अधिकार को खतरे में डालने का आरोप लगाया और पूछा, “क्या आप हमसे प्रार्थना करने का अधिकार भी छीन लेंगे?” इस पर बीजेपी नेताओं ने जवाब दिया।
इससे पहले, जेडीयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि वक्फ बिल को लेकर गलतफहमी फैलाई जा रही है और इसमें सभी समुदायों के साथ न्याय किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें कुछ भी मुस्लिम विरोधी नहीं है। वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बिल मुसलमानों के अधिकारों को सीमित कर देगा। उन्होंने सरकार से रोजगार देने की मांग करते हुए कहा, “हमें सौगात-ए-मोदी नहीं चाहिए, बल्कि सम्मानजनक जीवन और सुरक्षा चाहिए।”
डीएमके सांसद ए. राजा ने सरकार से सवाल किया कि मुस्लिम समुदाय से जुड़े इतने महत्वपूर्ण विधेयक को पेश करने के लिए क्या एक भी मुस्लिम सांसद नहीं मिला? उन्होंने केंद्रीय मंत्री रिजिजू पर निशाना साधते हुए कहा, “आपको इतनी बेतुकी कहानी गढ़ने की हिम्मत कहां से मिली? अगर आपके दावे जेपीसी रिपोर्ट से मेल खाते हैं, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।” उन्होंने कहा कि जेपीसी ने तमिलनाडु का दौरा कर सरकार के दावों को खारिज कर दिया था। राजा ने जोर देकर कहा कि अब तय होना है कि देश अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर चलेगा या सांप्रदायिक ताकतों के प्रभाव में आएगा।
Creating Story……..
Disclaimer: This text is a rewritten model of a information report initially printed on News18 source. Whereas we’ve got rephrased the content material, the knowledge and core particulars stay aligned with the news18 supply. This content material just isn’t supplied, approved, or endorsed by the writer.